भारत देश को आज़ादी दिलाने में बहुत सारे लोगों का हाथ था वैसे देखा जाए तो हमारे देश के लिए बलिदान देने वाले लोगों की कोई कमी नहीं है लेकिन कुछ लोगों को आज भारतीय याद करते हैं, जिन्होंने देश को आजाद दिलाने में अपनी अहम भूमिका निभाई थी। उन्हीं में से एक चंद्रशेखर आजाद थे, जिन्हें बड़े गर्व के साथ याद किया जाता है। दोस्तों वैसे तो चंद्रशेखर आजाद के बारे में आप लोगों को मालूम होगा लेकिन आज हम आपको चंद्रशेखर आजाद से जुड़ी 7 ऐसी रोचक जानकारी बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में शायद आप नहीं जानते।
चंद्रशेखर आजाद के बारे में 7 रोचक तथ्य-
1. दोस्तों क्या आप जानते हैं कि चन्द्रशेखर आज़ाद ने झांसी के पास एक मंदिर में 8 फीट गहरी और 4 फीट चौड़ी गुफा बनाई थी, जहां वे सन्यासी के वेश में रहा करते थे। ऐसा माना जाता है कि जब अंग्रेजों को उनके इस गुप्त ठिकाने के बारे में पता चला तो वे स्त्री का वेश बनाकर अंग्रजों को चकमा देने में कामयाब रहे।
credit: third party image reference
2. आपकी जानकारी के लिए बताना चाहेंगे कि आज़ाद ने अपनी सभी फोटो को नष्ट करना चाहा क्योंकि वे नहीं चाहते थे कि उनकी फोटो अंग्रेजों के हाथ लगे। उन्होंने अपने एक दोस्त को झांसी भेजा ताकि अंतिम फोटो की प्लेट नष्ट हो जाए लेकिन वह नहीं टूटी सकी।
3. मित्रों आप लोगों को यह बात शायद मालूम होगा की जलियांवाला गोली काण्ड के पश्चात् चंद्रशेखर आजाद ने मध्य प्रदेश के झाबुआ क्षेत्र के आदिवासियों से तीरंदाजी का प्रशिक्षण लिया था। वे सदैव अपने साथ एक माउजर(ऑटोमेटिक पिस्टल) रखते थे। ऐसा भी माना जाता है कि आज़ाद रूस जाकर स्टालिन से मदद लेना चाहते थे, जिसके लिए उन्होंने जवाहर लाल नेहरु से 1200 की सहायता राशि की मांग की थी।
4. यह बात जानकर के आप लोगों को बड़ी हैरानी होगी कि उनकी अंतिम मुठभेड़ के बारे में सर्वविदित है कि इलाहाबाद की एक पार्क में पुलिस ने उन्हें घेर लिया और उन पर गोलियां दागनी शुरू कर दीं। दोनों ओर से लम्बे समय तक मुठभेड़ चलती रही। चंद्रशेखर आज़ाद एक पेड़ की ओट से पुलिस से बचने के लिए गोलियां चलाते रहे।
credit: third party image reference
5. दोस्तों बता दें कि इलाहाबाद के पार्क में उनका निधन हुआ, उस पार्क को स्वतंत्रता के बाद चंद्रशेखर आजाद पार्क रखा गया। मध्य प्रदेश के जिस गांव में वह रहे थे उसका नाम धिमारपुरा से बदलकर आजादपुरा रखा गया।
6. आप लोगों को यह बात भी जानना चाहिए की इस संस्था के साथ जुड़ कर उन्होंने राम प्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में 9 अगस्त 1925 को काकोरी काण्ड को अंजाम दिया तथा गिरफ़्तारी से बचने के लिए फरार हो गये थे।
credit: third party image reference
7. मित्रों आप लोगों की जानकारी के लिए बताना चाहेंगे कि चन्द्रशेखर आज़ाद केवल 14 वर्ष के थे जब उन्होंने1921 में गांधी जी के असहयोग आंदोलन में भाग लिया था।
Really knowledgeable
ReplyDelete